माँ के साथ पहला सफर


एक शाम, एक सवाल लिए में बैठा था और उंगली पर नाम गिनते हुए सोच रहा था कि कहीं जाना है पर मेरे साथ जाएगा कोन?, काफी सोचने और काफी लोगो से पूछने के बाद कोई जवाब नहीं था, तभी मां ने पूछा, क्या हुआ? मैने अपने मन की बात उनको बताई और दिलचस्पी लेते हुए मां बोली चल में चलती हूं अपन करेगे राइड।
एक शाम अचानक मम्मी बोली चल कही चलते है, मेने कहा आपकी प्रैक्टिस नही है आपको तकलीफ आएगी, वो बोली बिना चले कैसे पता चलेगा तो तभी शाम में महेश्वर जाना तय हुआ, महेश्वर इंदौर से 100 किमी था जो एक सही जगह थी क्योंकि रास्ता भी अच्छा था और दूरी भी सही।


सुबह 5:30 निकलना था मम्मी 4:30 उठ कर तैयार होने लगी क्योंकि ये उसकी पहली राइड थी, 6 बजे इंदौर से निकल कर मानपुर में पोहा खाते हुए महेश्वर पहुचे, ठंड होने की वजह से घाट भी खाली पड़े थे कुछ देर नर्मदा किनारे अहिल्या घाट पर।
कुछ समय वाहा बीता कर हम वापिस इंदौर की ओर बड़े, जो हम बिना कहीं रुके इंदौर तक पहुंचे।


ये एक नया अनुभव था, में पहली बार अपनी मां को लेकर राइड पर निकला था, कोई डर नहीं था क्युकी कंधे पर उसका हाथ था और साथ में उसकी सलाह जैसे स्पीड 80 से उप्पर जारी है, देख ट्रक है सामने, सीधी साइड से गाड़ी निकाल, आराम से चलो और भी कई।
ये एक शुरुवात थी आगे और भी घूमना था और उसको भी घुमाना था। अब साथी क्यो धुड़ना जब मां साथ है।

Comments

  1. Kya bat hai bhaii...maa to maa hoti hai..love uu maa😘😘😘😘

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  2. Kya bat hai bhaii...maa to maa hoti hai..love uu maa😘😘😘😘

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