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Short ride to Rajasthan

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राजस्थान कई दिनों से दिमाग में चल रहे इस यात्रा को फिर एक बार लगभग हम कैंसल कर ही चुके थे कि अचानक इच्छा हुई और फोन कर सबको जगाया दिन में 2 बजे इंदौर से निकाल कर नाथद्वारा राजस्थान जाना था जो इंदौर से 440 किमी की दूरी पर था, रास्ता तो देखा हुआ था पर डर रात होने का था क्युकी गाड़ियों में लाइट काम थी, रात हुई और अचानक बने इस राइड के प्लान की कमिया सामने आई वो थी ठंड की कोई वेवस्था नी होना, अचानक बदले मौसम ने सफर को कठीन तो बनाया पर रुकना तो था नहीं, ढाबे से अखबार की वेवास्था की और ठंड की ढाल बनाकर उसका उपयोग किया, रात 1 बजे नाथद्वारा पहुंचे और विश्राम कर सुबह जल्दी उठ मंदिर में दर्शन किए क्युकी वापिस इंदौर लौटना था समय कम होने के कारण कुछ ऐसा सफर ही किया जा सकता था, फिर अगले दिन नो घंटे गाड़ी चला कर सफर ख़तम किया।

माँ के साथ पहला सफर

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एक शाम, एक सवाल लिए में बैठा था और उंगली पर नाम गिनते हुए सोच रहा था कि कहीं जाना है पर मेरे साथ जाएगा कोन?, काफी सोचने और काफी लोगो से पूछने के बाद कोई जवाब नहीं था, तभी मां ने पूछा, क्या हुआ? मैने अपने मन की बात उनको बताई और दिलचस्पी लेते हुए मां बोली चल में चलती हूं अपन करेगे राइड। एक शाम अचानक मम्मी बोली चल कही चलते है, मेने कहा आपकी प्रैक्टिस नही है आपको तकलीफ आएगी, वो बोली बिना चले कैसे पता चलेगा तो तभी शाम में महेश्वर जाना तय हुआ, महेश्वर इंदौर से 100 किमी था जो एक सही जगह थी क्योंकि रास्ता भी अच्छा था और दूरी भी सही। सुबह 5:30 निकलना था मम्मी 4:30 उठ कर तैयार होने लगी क्योंकि ये उसकी पहली राइड थी, 6 बजे इंदौर से निकल कर मानपुर में पोहा खाते हुए महेश्वर पहुचे, ठंड होने की वजह से घाट भी खाली पड़े थे कुछ देर नर्मदा किनारे अहिल्या घाट पर। कुछ समय वाहा बीता कर हम वापिस इंदौर की ओर बड़े, जो हम बिना कहीं रुके इंदौर तक पहुंचे। ये एक नया अनुभव था, में पहली बार अपनी मां को लेकर राइड पर निकला था, कोई डर नहीं था क्युकी कंधे पर उसका हाथ था और साथ में उसकी सलाह जैसे स्पीड 8...

wonder of nature: kawadiya pahad

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इंदौर के पास देवास ज़िले के पोटला पिपरी के घने जंगल के बिच बना एक रहस्यमयी पहाड़, कावड़िया पहाड़  कावड़िया पहाड़ को लेकर कई अलग अलग कहानिया और अलग अलग मान्यता है| पहाड़ को देख लगता है मनो जैसे किसी कलाकार ने इन्हे तराश कर वहॉ जमाया हो | कुछ लोग इसे वंडर ऑफ़ नेचर कहते है तो कुछ का मानना ये भी है की इसे यहां भीम ने लाकर रखे है|  कावड़िया पहाड़ की एक और खासियत यह भी है की इन्हे ठोक ने पर ऐसी आवाज़ आती है जैसे किसी लोहे की चीज़ को ठोक रहे हो |  लोगो का मानना ये है की महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ये चट्टान लेकर आये थे और यहाँ जमाये थे, उनका मकसद शायद इनसे महल बनाने का था|  कावड़िया पहाड़ इंदौर से 75 किमी की दुरी पर है, इंदौर से उदयनगर होते हुए पोटला से पिपरी से 1 किमी जंगल में आता है कावड़िया पहाड़| 

chikhaldara...

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महाराष्ट्र के अमरावती डिस्ट्रिक्ट में बसा एक छोटा हिल स्टेशन चिखलदरा|  खूबसूरत पहाड़ और घने जंगल के बिच बसा चिखलदरा जहाँ कई झरने, बगीचे, जंगल सफारी, सनसेट पॉइंट, और मंदिर है जिससे देखने लोग दूर दूर से आते है| चिखलदरा की खासियत ये है की यहां दो दिन में अच्छे से घुमा जा सकता है| पांडव पुत्र भीम ने  कीचका का वध भी चिखलदरा में किया था, जिससे चिखलदरा का नाम कीचकादारा पड़ गया था जिससे बाद में चिखलदरा करदिया गया|  चिखलदरा के जंगल में कही जंगली जानवर पाए जाते है जेसे टाइगर, पैंथर, सांबर, जंगली गाये आदि|  चिखलदरा घूमने का सही समय बारिश और ठंड का है|  यहां रुकने के लिए कही होटल और रिसॉर्ट्स है|    चिखलदरा जाने के लिए खंडवा, बैतूल, अकोला, अमरावती होते हुए जा सकते है|  हवाई अड्डा नागपुर चिखलदरा से सबसे करीब है| चिखलदरा में कॉफ़ी की भी खेती होती है जो महाराष्ट्र में सिर्फ यही होती है| चिखलदरा में घूमने की जगह  मेलघाट टाइगर रिज़र्व  भीमकुण्ड (जहा भीम ने कीचका का वध कर अपने हाथ धोये थे) गावलीअद फोर्ट...

udaipur- city of lakes

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बड़े बड़े पहाड़ो के बिच बसा उदयपुर जिसे झीलों का शहर भी कहा जाता है| उदयपुर आलीशान महलो, झीलों और बगीचों से भरा एक ऐतिहासिक शहर है| महाराणा उदय सिंह के नाम पर बसा ये शहर जिससे 1559  में महाराणा उदय सिंह ने बसाया था जब वे चित्तौड़गढ़ छोड़ आये थे|  मुग़लो के चित्तोड़ पर आक्रमण के बाद जब चित्तोड़ पूरा तहस नहस होगया था तब राणा उदय सिंह ने  आयड़ नदी के किनारे उदयपुर शहर बसाकर, उसे मेवाड़ की राजधानी बनाया। उदयपुर का इतिहास बताता सिटी पैलेस जो एक बहुत ही आलीशान महल है जिससे राणा उदय सिंह और उनके परिवार ने बनाया था जो छोटे बड़े चार हिस्सों में बना जिससे अलग अलग राणाओ ने पूरा किया| उदयपुर छटवा राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है| जैसा सभी जानते है उदयपुर "सिटी ऑफ़ लेक्स" भी कहा जाता है यहाँ 5 सबसे प्रसिद्ध झील है, फ़तेह सागर लेक, पिछोला लेक, स्वरुप सागर लेक, रंगसागर और दूध तलाई लेक|  सिटी पैलेस पिछोला झील किनारे बना सिटी पैलेस जिसकी गिनती कही बड़े महलो के साथ होती है| सिटी पैलेस एक ऐसा महल है जिससे अलग अलग राजाओ ने अलग अलग हिस्सै में बनवाया था, इसका निर्माण 1559 में राणा उदय ...

valley of flower, uttarakhand

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                        valley of flowers, uttarakhand कही प्रजाति के फूल और हरे भरे पहाड़ो से सजे उत्तराखंड का "वैली ऑफ़ फ्लावर" जिसे देखने का मजा सिर्फ बारिश के मौसम में आता है| क्योकि बारिश में हर तरफ हरियाली होजाती है और बहुत तरह के फूल खिल आते है| जैसे वाइल्ड रोज, ब्लू कोरिडालिस, सेक्सीफ्रागे, ,गेरनियंस आदि जुलाई सही मौसम है वैली ऑफ़ फ्लावर को घूमने का|  कैसे पहुचे   सबसे पास देहरादून एयरपोर्ट है जो 295 किमी है और   ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जो 276 किमी है  वहां से सड़क मार्ग जो गोविन्द घाट होते हुए जाता है|  

अहमदाबाद की झूलती मीनार

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अहमदाबाद की झूलती मीनार   भारत एक ऐसा देश है जहा सभी धर्म के लोग रहते है| भारत देश में धार्मिक महत्व के कई प्राचीन स्थल है| उनमे कई स्थानो से जुडी मान्यता जितनी गहरी है उनका निर्माण भी उतना ही चर्चित रहा है| गुजरात के अहमदाबाद में स्थित "सीदी बशीर मस्जिद" को झूलती मीनार के नाम से भी जाना जाता है| यहाँ किसी भी एक मीनार को हिलने पर दूसरी अपने आप हिलने लगती है| इसे देखने लोग दूर-दूर से आते है| आपको जान कर अश्चर्य होगा की अनेक बार भूकंप के झटके से यहाँ की जमीन हिली, लेकिन ये मीनार जस की तस खड़ी रही| विशेषज्ञ इसे कुछ भी कहे लेकिन लोगो के लिए ये अजूबा है| यहाँ आने वाले लोग इसे खुदा का करिश्मा बताते है|  क्या है रहस्य : कुछ जानकारों ने मीनार के हिलने का रहस्य बताया है| उनके अनुसार इसके निर्माण में ऐसे पत्थर का प्रयोग किया गया है जो लचीले है| ऐसे पत्थर अब नहीं पाए जाते किंतु शायद उस समय इन्ही लचीले पत्थर का प्रयोग मस्जिद निर्माण में किया गया है|